Saturday, August 14, 2010

जश्न-ए-आज़ादी




15 अगस्त, यानि आज़ादी का वो जश्न जिसे पूरा हिन्दुस्तान हर साल जोश के साथ मनाता है…ये वो दिन है जब 1947 में भारत ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर आज़ादी की सांस ली थी...आज़ाद आबो हवा की सांस में इतनी ताजगी भरी थी कि देश के दिल में उमंग भर गई और हिंदुस्तान ने ठाना कि वो अब अपने सिद्धांतों पर ही आगे बढ़ेगा..अपने फैसले खुद लेगा और अपनी मंजिल खुद ही तय करेगा...इसी जोश और उमंग के साथ पूरा हिंदूस्तान विश्व के मानस पटल पर एक नई तस्वीर उकेरने के सपने लिए आगे बढ़ चला...आज़ाद हिंद के इस जोश ने देश में कई बदलाव भी लाएं...हिन्दुस्तान के पास अब अपना खुद का लिखा संविधान भी आ गया...एक ऐसा संविधान जिसमें दिखी एक आदर्श और आज़ाद भारत की कई झलकियां, जिसकी तारिफ विश्वभर ने की...ये संविधान इतना अनूठा है कि लिखने के साथ ही इसने इतिहास रच दिया...गुलामी के जख्मों को भरने के इरादे से और एक कीर्तिमान स्थापित करने के मकसद से आज़ाद भारत अपनी आंखों में हज़ारों सपने लिए बढ़ चला अपनी मंजिल की ओर...जाहिर है जब कोई नेक इरादों से मंजिल की ओर कदम बढ़ता है तो उसकी राह रोकने वाले भी उसके साथ ही चलते हैं...कुछ ऐसा ही हुआ भारत के साथ भी...मंजिल तक पहुंचने से पहले ही आज इसके कदम लड़खड़ा रहे हैं...देश के ही कुछ वासी आज अपने भारत के दुश्मन बन बैठे हैं, जो न सिर्फ देश के कदमों को आगे बढ़ने से रोक रहे हैं बल्कि अपने नापाक इरादों से देश के सपने को तोड़ेने में भी लगे हैं...जहां एक ओर ये देशद्रोही भ्रष्टाचार का सहारा लेकर देश को अंदर से खोखला करने में लगे वही दूसरी ओर ये धरती के स्वर्ग और भारत की शान में नफरत का ज़हर घोलकर पूरी घाटी को हिंसा की आग में झोंक रहे हैं...इतना ही नहीं देश के ये सौदागर अपने स्वार्थ को पूरा करने लिए देश की इज्जत तक को बेचने के लिए तैयार खड़े हैं...आज तस्वीर ये है कि एक ओर देश में नक्सली नासूर बनकर देश को आए दिन जख़्म पर जख़्म दिए जा रहे हैं, आतंकी अपने नापाक मनसूबे लिए देश में अपनी पैठ जमा रहे है, दूसरों के बहकावे में आकर भाई भाई को मार रहा है और देश के ही भ्रष्ट खद्दरधारी देश को लूटने में लगे हैं...इन तमाम मुसिबतों के अलावा भी की अन्य समस्याएं हैं जो देश की विकास की राह में रोड़े अटका रही हैं...लेकिन ऐसे जरूरत के समय में भी देशवासी एक दूसरे का साथ देने की जगह एक दूसरे के लिए नफरत लिए आपस में लड़ने में व्यस्त हैं...ऐसे में आज़ादी के इस जश्न को दिल से मनाने के लिए जरूरत है पूरे देशवासियों के दिल से एकजुट होने की ताकि ये जश्न महज़ एक औपचारिकता और दिखावा न बनकर रह जाए...आज़ाद भारत को इंतज़ार है उस 15 अगस्त का जब पूरा देश महज़ जुबां से नहीं बल्कि सच्चे दिल से ये नारा लगाएगा....’वंदे मातरम्’....

2 comments:

  1. jitni shiddat se ye atical likha gaya hai ager aisi hi bhawna har hindustani ke dil me aa jaye to hum desh me subhar ki thodi si ummid kar sakte hai.. khair... is artical ki kuchh line mujhe bahut pasand ayii
    congratulation

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  2. thank u marzi for ur appreciation........

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