Sunday, November 25, 2012

आतंक के जख्म का हिसाब कितना ?







ये दास्तां है 4 साल पहले मुंबई को दिए उस जख्म की जिसकी टीस आज भी मुंबई के जेहन में ताजा है...जब भी इस जख्म का जिक्र होता है मुंबई हर बार इस दर्द को महसूस करती है...4 सालों में मुंबई के ये जख्म अब नासूर बन गए हैं....26 नंवबर 2008 को आतंकियों की बुरी नजर लगते ही पूरी मुंबई किसी सूखे पत्ते की तरह कांप उठी थी... आतंकियों की इस खौफनाक हिमाकत से पूरे शहरभर में लाशों की ढेर लग गई थी....आतंकियों ने जिस कदर मुंबई पर कहर बरपाया था उस कहर से ना सिर्फ मुंबई चीखी बल्कि पूरा देश सिहर उठा...इस आतंकी हमले में ना सिर्फ देश के बहादूर सिपाही शहीद हुए बल्कि 166 लोग हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए...एक बड़ी साजिश के तहत खेले गए इस आतंकी खेल से भारत में तो लाशें बिछ गईं....लेकिन इस हमले ने पूरी दुनिया को भी सकते में भी डाल दिया...पाकिस्तान से समुन्द्र के रास्ते भारत में घुसे 10 आतंकियों ने मुंबई में कोहराम मचाया...60 घंटों तक चले आतंकियों के इस खूनी तांडव के दौरान हमारे एनएसजी और पुलिस फोर्स के जवानों ने मुंबई को इन दहशतगर्दों के चुंगल से छुड़ाने में अपनी जान की बाजी लगा दी...इस दौरान बाकि आतंकी तो मारे गए लेकिन इन दहशतगर्दों में एक आतंकी ऐसा था जो जिन्दा पुलिस के हत्थे चढ़ गया...ये दहशतगर्द था कसाब...वहीं आतंकी आमिर अजमल कसाब जिसे 21 नवंबर 2012 को उसकी इस हिमाकत के लिए सज़ा के तौर पर फांसी के तख्ते पर चढ़ा दिया गया....कानून प्रक्रिया की वजह से कसाब की फांसी भले ही देर से हुई हो लेकिल कसाब की फांसी यकीनन उन शहीदों के लिए श्रद्धांजलि है जिन्होंने देश की खातिर आतंकियों से लोहा लेने के दौरान अपनी जान की कुर्बानी दी...कसाब के रूप में दहशत का एक चेहरा हमेशा के लिए खत्म जरूर हो गया है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जिस चेहरे को हमने मिटाया है वो तो दहशत के इस इस खौफनाक बिसात का एक मोहरा भर था...ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या कसाब की मौत से शहीदों की श्रद्धांजलि पूरी हो गई ?.. क्या इन मोहरों को चलाने वाले असली चेहरे...असली दहशतगर्द सजा के हकदार नहीं है..? आखिर कब तक इंसानियत के ये दुश्मन जेहाद का नकाब पहनकर कत्लेआम मचाते रहेंगे ?...आखिर कब शहीदों को उनकी सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी....आखिर कब ?

1 comment:

  1. Very well written..Kasab was one of the misled youths and not the actual mastermind but nevertheless he had committed a heinous crime and he deserved what he got.. But total peace will prevail only when those masterminds are brought to justice..

    P.S: I hope you will be frequent with the blogs now!

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