Thursday, April 15, 2010

उम्मीदों को झटका पर हौसले बरकरार



उल्टी गिनती के साथ अंतरिक्ष अभियान में भारत के सबसे बड़े गौरव GSLV D3 रॉकेट ने श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से अपनी उड़ान भरी...शुरूआती दो चरणों में सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा लेकिन अगले चरण में अचानक हीं रॉकेट कांपने लगा और इसे कंट्रोल कर रहे इसरो के वैज्ञानिकों को इसके आंकड़े मिलने बंद हो गए...अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरता ये रॉकेट अपना रास्ता भटक गया...रॉकेट से संपर्क टूटते ही इसरो के वैज्ञानिकों की 18 साल की मेहनत पर पानी फिर गया...वैज्ञानिकों का कहना है कि उड़ान के दौरान रॉकेट के दो छोटे इंजनों ने अचानक काम करना बंद कर दिया जिसकी वजह से ये प्रक्षेपण असफल हो गया..
GSLV D3 रॉकेट की लांचिंग भारत के लिए ना सिर्फ गौरव की बात थी बल्कि इस लांचिंग के बाद भारत उन देशों की लिस्ट में भी शामिल हो जाता जो अपने उपग्रह बिना किसी विदेशी रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में स्थापित करते हैं....GSLV D3 भारत का पहला रॉकेट है जिसे क्रायोजेनिक इंजन की मदद से अंतरिक्ष में भेजा जाना था...क्रायोजेनिक इंजन असल में एक ऐसी तकनिक से बनाई जाती है जिसमें इंधन के तौर पर लिक्विड ऑक्सिजन और लिक्विड हाईड्रोकारबन का इस्तेमाल किया जाता है....हालांकि भारत ने इस इंजन को बनाने की तकनिक रूस से खरीदनी चाही थी लेकिन अमेरिका की दवाब की वजह से रूस ने इंकार कर दिया था....इस इंकार के बाद भारत ने खुद इस इंजन को बनाने में कामयाबी हासिल की....क्रायोजेनिक इंजन बनाने की तकनीक अब तक भारत के अलावा केवल पांच देशों के पास ही है....

इसरो के वैज्ञानिकों की 18 साल की ये मेहनत अगर सफल हो जाती तो भारत को अपने जीसैट-4 उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित करने में कामयाबी मिल जाती...अंतरिक्ष में इस उपग्रह के स्थापित होने से ना सिर्फ भारत के टेलिकम्युनिकेशन में सुधार आता बल्कि देश के जीपीएस सिस्टम को भी बेहतर बनाने में मदद मिलती....इसके अलावा टीवी कवरेज की क्वालिटी को सुधारने में भी कामयाबी हासिल की जा सकती थी....बरहाल इस प्रक्षेपण के असफल हो जाने से भारतीय वैज्ञानिकों के बीच मायूसी जरूर छा गई है....लेकिन इसके बावजूद भारतीय वैज्ञानिकों ने अपना मनोबल कायम रखते हुए ये ऐलान किया है कि तकनिकी खामियों को दूर करने के बाद एक साल बाद दुबारा इस प्रक्षेपण को सफल बनाने की कोशिश की जाएगी.....उम्मीद है अपनी अगली कोशिश में भारतीय वैज्ञानिक दुनिया को ये जताने में जरूर सफल हो सकेगे कि भारत किसी से भी कम नहीं है....

Thursday, April 8, 2010

पुलिस की लापरवाही का एक नायाब नमुना...

दिल्ली के अक्षरधाम के पास सड़क पर एक बीएमडब्लू कार 62 साल के बुजुर्ग ओम दत्त के लिए उस वक्त यमदूत बन गई जब ओम दत्त सैर पर निकले....एक बाइक को ओवरटेक करने के चक्कर में इस कार ने अपना संतुलन खो दिया.....संतुलन खोते ही इस कार ने सड़क किनारे चल रहे ओम दत्त को टक्कर मार दी....ओम दत्त कार चालक की लापरवाही के शिकार तो हुए ही इसके साथ ही पुलिस ने भी इंसानियत को ताक पर रखते हुए ओम दत्त को सड़क पर तड़पता छोड़ आरोपियों को पकड़ने में लग गई....प्रत्यक्षदर्शियों को कहना है कि हादसे का शिकार होने के बाद भी ओम दत्त जिंदा थे पर पुलिस ने उन्हें अस्पताल पहुंचाने की कोई कोशिश नहीं की....लोगों का आरोप है कि पुलिस की लापरवाही की वजह से बुजुर्ग ओम दत्त को अपनी जान गंवानी पड़ी.....
जब पुलिस से उनकी लापरवाही का जवाब मांगा गया तब बड़ी चालाकी के साथ पुलिस ने जांच की बात कह कर मामले को टाल दिया... इस घटना के बाद पुलिस की लापरवाही से नाराज़ लोगों ने ना सिर्फ पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जमकर हंगामा किया बल्कि एनएच 24 पर जाम भी लगा दिया.....पुलिस ने इस मामले में कार चालक समेत 3 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया ..हालांकि इस हादसे के बाद ये सवाल जरूर खड़ा हो गया है कि क्या घायल को तड़पता छोड़ पुलिस का काम महज़ अपराधियों को पकड़ना है...? अगर ऐसा है तो क्या कहीं ना कहीं पुलिस घायल की मौत की जिम्मेवार नहीं है.....? आखिर ऐसा क्या था जो पुलिस को घायल बुजुर्ग को अस्पताल नहीं पहुंचा पाई..? जहां पुलिस को घायल की मदद करनी चाहिए थी वहां आखिर क्यों पुलिस आरोपियों को थाने ले जाने के लिए उत्सुक थी...?