Thursday, March 18, 2010

रेंगती जिन्दगी







एक तो गरीबी.. उसके उपर से मंहगाई की मार....ऐसे में इस माहौल में जिंदगी तलाशने को मजबूर हैं ये गरीब....गरीबी और बदहाली में जीने को मजबूर इन लोगों को कभी तो रोटी नसीब हो जाती है लेकिन कभी भूखे पेट हीं सोना पड़ता है.....हालांकि सरकार तो दम भरती है इन गरीबों के उत्थान का... पर सरकार की इस दलील में कितना दम है ये इन गरीबों के हालात बखुबी बयां कर रहे हैं......अब तो हाल ये है कि सालों से प्रशासन की मदद की उम्मीद की आस रखने वाले इन लोगों का विश्वास हीं प्रशासन से उठ गया है..... दिन-ब-दिन बढ़ती महंगाई ने ना सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों के हालात को बद से बदतर बनाया है बल्कि आम जनता के आंखों में भी आंसू ला दिए हैं..... आए दिन कभी चीनी और दुध के दाम बढ़ रहे हैं तो कभी पेट्रोल और डीजल के दाम...ऐसे में आम जनता राहत के लिए किए गए प्रशासन के तमाम वादों के बीच खुद को ठगा सा महसूस कर रही है..... एक ओर जहां महंगाई और गरीबी के बीच आम आदमी की जिंदगी रेंगने को मजबूर है वहीं सरकार इन बातों से बेखबर कुंभकर्णी नींद लेने में व्यस्त है.....

No comments:

Post a Comment