Thursday, April 8, 2010

पुलिस की लापरवाही का एक नायाब नमुना...

दिल्ली के अक्षरधाम के पास सड़क पर एक बीएमडब्लू कार 62 साल के बुजुर्ग ओम दत्त के लिए उस वक्त यमदूत बन गई जब ओम दत्त सैर पर निकले....एक बाइक को ओवरटेक करने के चक्कर में इस कार ने अपना संतुलन खो दिया.....संतुलन खोते ही इस कार ने सड़क किनारे चल रहे ओम दत्त को टक्कर मार दी....ओम दत्त कार चालक की लापरवाही के शिकार तो हुए ही इसके साथ ही पुलिस ने भी इंसानियत को ताक पर रखते हुए ओम दत्त को सड़क पर तड़पता छोड़ आरोपियों को पकड़ने में लग गई....प्रत्यक्षदर्शियों को कहना है कि हादसे का शिकार होने के बाद भी ओम दत्त जिंदा थे पर पुलिस ने उन्हें अस्पताल पहुंचाने की कोई कोशिश नहीं की....लोगों का आरोप है कि पुलिस की लापरवाही की वजह से बुजुर्ग ओम दत्त को अपनी जान गंवानी पड़ी.....
जब पुलिस से उनकी लापरवाही का जवाब मांगा गया तब बड़ी चालाकी के साथ पुलिस ने जांच की बात कह कर मामले को टाल दिया... इस घटना के बाद पुलिस की लापरवाही से नाराज़ लोगों ने ना सिर्फ पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जमकर हंगामा किया बल्कि एनएच 24 पर जाम भी लगा दिया.....पुलिस ने इस मामले में कार चालक समेत 3 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया ..हालांकि इस हादसे के बाद ये सवाल जरूर खड़ा हो गया है कि क्या घायल को तड़पता छोड़ पुलिस का काम महज़ अपराधियों को पकड़ना है...? अगर ऐसा है तो क्या कहीं ना कहीं पुलिस घायल की मौत की जिम्मेवार नहीं है.....? आखिर ऐसा क्या था जो पुलिस को घायल बुजुर्ग को अस्पताल नहीं पहुंचा पाई..? जहां पुलिस को घायल की मदद करनी चाहिए थी वहां आखिर क्यों पुलिस आरोपियों को थाने ले जाने के लिए उत्सुक थी...?

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